सृष्टि की रचना का रहस्य ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
1-हमें यहाँ इस सृष्टि मे क्यों आना पड़ा ?
यह सवाल हम वापस जाकर उस कुल मालिक से ही पुछ सकते हैं, जिसने हमें यहाँ भेजा है। इसका जबाब वही बेहतर जनता है। इसे जानने के लिए हमें चेतना के उस स्तर तक पहुँचना होगा, जहां हम यह समझ सकें कि परमात्मा ने सृष्टि कि रचना किस मकसद से की। अपनी बुद्धि से हम इसे कभी नहीं समझ सकते , क्योकि बुद्धि की अपनी सीमा है। यह हमें बहुत आगे तक नहीं ले जा सकती । हम मन-बुद्धि द्वारा उसकी सृष्टि की रचना के मकसद को बिलकुल नहीं समझ सकते।
इस सृष्टि की रचना का मकसद समझने के लिए हमें उस परमपिता परमात्मा को जानना बहुत जरूरी है, जिसने हमें पैदा किया है। अगर हम अपनी बुद्धि के स्तर पर यह समझने की कोशिश करे कि परमात्मा ने इस सृष्टि की रचना क्यो की , तो हम इस समस्या को कभी नहीं सुलझा पायेंगे।
2- सृष्टि की रचना मन-बुद्धि से परे है।
सृष्टि की रचना का मकसद बुद्धि के स्तर पर नहीं समझा जा सकता। इसे समझने के लिए हमे मन-बुद्धि के स्तर से ऊपर उठाना होगा। इसलिए संत-महात्मा आम तौर पर इस सृष्टि की रचना का मकसद समझने की कोशिश नहीं करते। लेकिन यह तो हम सब जानते हैं कि इस सृष्टि कि रचना हुई है और हम उस परमपिता से बिछड़े हुये है। और जब तक हम वापस जाकर परमात्मा में समा नहीं जाते, हम जन्म-मरण के चक्कर से नहीं बच सकते।
3- सृष्टि की रचना की समझ
सृष्टि की रचना का मकसद समझने के लिए हमें अपने
अंतर में रूहानी तरक्की करनी होगी। तब शायद हम परमपिता परमात्मा से यह पुछना ही न चाहें
कि उसने हमें क्यो पैदा किया। क्योकि हम परमात्मा में समाकर खुद ही समझ जायेंगे।
इस रचना के मकसद को समझने के लिए पहले हमें उस सिरजनहार की खोज करनी होगी। भारत
में गुरु नानक एक महान संत हुये है। उनका कहना था कि यदि हम इस समस्या को सुलझाने
की कोशिश में लाखों जन्म भी लगा दें , तो भी इसे नही सुलझा
पायेंगे। इसलिए इस समस्या को सुलझाने में अपना वक्त बरबाद करने के बजाय उस
सिरजनहार की तलास करें, तो सृष्टि की रचना की समझ अपने आप आ
जाएगी।
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