मनुष्य जन्म अनमोल है
1-देवी देवता भी मनुष्य जन्म की आकांक्षा करते है।
देवी
देवता भी मनुष्य की देह पाने के लिए तरसते है। क्योकि केवल मनुष्य शरीर में ही हम
परमात्मा को पा सकते है। इन हस्तियो का दर्जा मनुष्य से ऊँचा हो सकता है, लेकिन वे अपने स्तर से
परमात्मा के पास वापस नहीं जा सकते। केवल मनुष्य योनि में ही परमात्मा के साथ
मिलाप किया जा सकता है। देवी देवता का स्वरूप उन्हें इस संसार में किए गये अच्छे
और नेक कर्मो के कारण पुरस्कार के रूप में मिलता है। यह उन्हें केवल कुछ समय के
लिए ही मिलता है। उसके बाद उन्हे फिर मनुष्य शरीर में आना पड़ता है, और वे तरक्की करके परमात्मा से मिलाप कर सकते है। संत-महात्मा कहते है कि
परमात्मा से मिलने का सौभाग्य केवल मनुष्य देह को ही प्राप्त है। जब कोई आत्मा
मनुष्य जन्म पाकर बहुत ही शुभ कर्म करती है, परंतु उसका किसी
पूर्ण संत से मिलाप नहीं होता है, तो वह स्वर्ग या बैकुंठ या
.........में देवी देवता के पद पर एक निश्चित समय के लिए आसीन होती है। मनुष्य जन्म उनसे बेहतर है, क्योकि देवी देवता के स्वरूप में वे परमात्मा के पास वापस नहीं जा सकते।
अर्थात उनकी मुक्ति नहीं हो सकती है।
एक
बार भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि," हे अर्जुन ! यह जो चींटी जा रही है, यह अपने द्वारा किये अत्यंत शुभ कर्मो के कारण ब्रम्हा और इन्द्र के पद
पर आसीन हो चुकी है।
2-
सृष्टि का सरताज
परमात्मा
के पास वापस जाने का मौका केवल मनुष्य को ही बख्शा गया है। इस मनुष्य शरीर को
सृष्टि का सरताज कहा जाता है। जब तक हमें मनुष्य शरीर नहीं मिलता, तब तक हम परमात्मा के
पास वापस जाने के लिए आगे नहीं बढ़ सकते। इस तरह मनुष्य सृष्टि का सिरमौर है। केवल
मनुष्य देह से हम वापस जाकर परमात्मा मे समा सकते है। किसी और योनि मे हम परमात्मा
से मिलाप नहीं कर सकते।
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