सेवा

 



सेवा कौन सी सफल है?



सेवा तो हम सभी ही किसी न किसी की ,किसी न किसी प्रकार से करते ही है। सारी दुनिया ही सेवा करने मे लगी हुई है। कोई माता-पिता की सेवा करने मे लगा हुआ है ,तो कोई देश की सेवा मे। सेवा तो सभी ही अपने-अपने तरीके से करते है। परंतु ये सेवा हमे मुक्ति नहीं दे सकती है। इस प्रकार की सेवा हमे कभी भी चौरासी के बंधनो से आजाद नहीं कर सकती है। ऐसी सेवा करने से हमारे कर्म और बढ़ते है। इस प्रकार की सेवाओ से जो फल की प्राप्ति होती है, उन्हे भोगने के लिए एक आत्मा को पुनः चौरासी के चक्कर मे जाना पड़ता है।

पूर्ण गुरु की सेवा सफल है

सेवा वह सफल है जो मुक्ति प्रदान करती है। सेवा वह सफल है जो एक आत्मा को चौरासी के बंधन से हमेसा के लिए आजाद कर दे। और ऐसी सेवा केवल और केवल पूर्ण गुरु की सेवा है। ऐसे गुरु के हुक्म मे रहने से एक आत्मा को निश्चित रूप से मोक्ष की प्राप्ति होती है। पूर्ण गुरु के हुक्म मे रहने से आत्मा का 84 के बंधन से हमेसा के लिए छुटकारा हो जाता है।




पूर्ण गुरु खुद कुल मालिक ही होते है। वे हमारे स्तर पर हमारे जैसा बनकर इस संसार मे हमे समझाने के लिए आते है। और जो उनके हुक्म के अनुसार उनकी शरण मे जाता है, उसे भी वह एक दिन अपने समान बना लेते है। अपना रूप बना लेते है। अर्थात कुल मालिक बना लेते है। पूर्ण गुरु इस संसार मे रहते हुये तथा इस संसार के सारे कर्म करते हुये भी कर्मो के बंधन से मुक्त होते है। ऐसे गुरु की सेवा तथा हुक्म मे रहने वाले जीव भी अपने गुरु की कृपा से कर्मो के बंधन से मुक्त हो जाते है। अर्थात मोक्ष की प्राप्ति कर लेते है। यही मनुष्य जन्म का एकमात्र उद्देश्य है।

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